एम्स के निदेशक ने दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले पर बोले, भीड़ वाले बाजारों में लॉकडाउन की जरूरत



 दिल्ली में कोरोना के संक्रमण के संक्रमण की रोकथाम व अधिक से अधिक संक्रमित लोगों की पहचान के लिए आरटीपीसीआर जांच बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है। तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक प्रतिदिन 16,000 से 18,000 सैंपल की आरटीपीसीआर जांच हो पा रही है। हालांकि इस जांच के लिए अधिकृत सभी लैब की पूरी क्षमता का अभी इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। एम्स के निदेशक डाॅ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि उपलब्ध जांच लैब को 24 घंटे संचालित कर आरटीपीसीआर जांच बढ़ाई जा सकती है।

 

उन्होंने कहा कि कई लैब आठ घंटे चल रहे हैं। महामारी के इस दौर में सभी लैब को 24 घंटे संचालित किया जा सकता है। इसके लिए बुनियादी सुविधाएं बढ़ानी होगी।अतिरिक्त लैब तकनीशियन नियुक्त करने होंगे। ताकि अधिक से अधिक समय तक या 24 घंटे लैब संचालित हो सकें। इसके अलावा कई वेटनरी व कृषि लैब हैं, जहां आरटीपीसीआर की जांच की मशीनें हैं। उदाहरण के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में भी ऐसी लैब है जहां जांच हो सकती है। अभी उन लैब में पौधों व जानवरों से संबंधित वायरस पर काम होता है। लेकिन कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर वहां भी आरटीपीसीआर जांच कराई जा सकती है।

 

मौजूदा समय में दिल्ली में आरटीपीसीआर जांच के लिए 82 अधिकृत लैब हैं। दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 60 हजार सैंपल की जांच होती है। जिसमें 16,000 से 18,000 आरटीपीसीआर जांच शामिल होती है। अब जब जांच बढ़ाकर एक लाख करने की योजना है तो आरटीपीसीआर जांच भी दोगुना करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्देश दिया है। अभी स्थिति यह है कि कई निजी व सरकारी लैब दो से तीन दिन में रिपोर्ट दे रही हैं। इसलिए लैब तकनीशियन कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

 

“भीड़ वाले बाजारों में लॉकडाउन की दरकार”

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर एक बयान में कहा है कि भीड़ वाले बाजारों में लॉकडाउन करने की जरूरत है। क्योंकि बाजारों में शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं हो पा रहा है।

 

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