नवविवाहितों को सामूहिक विवाह समारोह में दिए जाने वाले उपहार सामग्री खरीदी में घोटाला, खुद की फर्म बनाकर विभाग के अधिकारियों ने लगाया चूना, लंबे समय से खेल जारी


 महिला बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में नवविवाहित दंपतियों को दिए जाने वाले उपहार सामग्री की खरीदी में अनियमितता उजागर होने के बाद राज्य सरकार की कार्यप्रणाली और शैली पर सवालिया निशान लग रहे है। नवविवाहितों को उपहार स्वरूप देने के लिए 547 मोबाइल 1452 रूपये की दर पर खरीदे गए जबकि इनकी 400 से 800 रुपये प्रति नग है। वैसे बजट के अनुसार एक मोबाइल के लिए 500 रूपये जारी किए गए थे, इस लिहाज से देखें तो लगभग छह लाख रूपये का भ्रष्टाचार होने का अंदेशा है। सूत्रों के अनुसार विगत 25 फरवरी 2020 को आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में नवविवाहित दंपतियों को उपहार स्वरुप एक हजार रुपये नगद के साथ 25 हजार रुपये तक की सामग्री प्रदान की गई थी जिसमें 547 मोबाइल बांटे गए। विभागीय अधिकारी खुद फर्म बनाकर सामानों की आपूर्ति कर रहे हैं। विभागीय नियमानुसार कार्यक्रम के पूर्व सामग्री क्रय करने टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती हैं पर अधिकारी टेंडर की नियम और शर्त ऐसी रखते हैं कि उनकी फर्म के अतिरिक्त दूसरी कोई फर्म उसमें हिस्सा ना ले सके और अधिकारियों के फर्म को टेंडर मिल जाता है। राजधानी सहित प्रदेश के अधिकतर जिलों में सामग्री आपूर्ति के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है जिसकी बारीक जाँच होने पर बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। 


800 का मोबाइल 1452 में ख़रीदा – 

आरटीआई से हुए इस खुलासे में सामग्री आपूर्ति करने वाली अधिकतर फर्म विभागीय अफसरों और उनके रिश्तेदारों के नाम पर रजिस्टर्ड हैं जो सामूहिक विवाह समारोह में सामान आपूर्ति करते हैं। चर्चा है कि राजधानी में हुए सामूहिक विवाह समारोह में अधिकारियों ने ऐसी ही फर्म बनाकर सामग्री आपूर्ति की। अधिकारियों ने 547 जोड़ों को 1452 रुपये कीमत का माइक्रो मैक्स और गोमेक्सी कंपनियों के मोबाइल उपहारस्वरुप बांटे। इन मोबाइल की खुले बाजार में कीमत 400 से 800 रुपये प्रति नग है लेकिन अधिकारियों ने लगभग दुगुनी कीमत पर खरीद लिया। 


विभाग के ही अधिकारियों ने खुद की फर्म बनाकर लगाया तगड़ा चूना –

बताया जाता है कि सरकार के द्वारा आयोजित होने वाले सामूहक विवाह समारोह में अधिकारियों द्वारा सामान आपूर्ति का खेल लंबे समय चल रहा है। अधिकारी छद्म नाम से फर्म बनाकर खुद सामग्री आपूर्ति करते है और धड़ल्ले से भुगतान भी हो जाता है, जिससे शासन को करोड़ों रुपये की क्षति होती है, वहीं लाभार्थियों को नकली और घटिया किस्म का सामान मिलता है। संचालनालय, राज्य महिला आयोग और जिला महिला बाल विकास में पदस्थ कुछ अफसरों द्वारा इसका पूरा सिंडिकेट चलाया जा रहा है। एक अफसर ने तो बूढ़ातालाब किनारे दुकान भी खोल रखी है। 

कलेक्टर के मार्गदर्शन में जारी किए टेंडर, अनियमितता की बातें निराधार –

जिला अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया के तहत ही सामूहिक विवाह के लिए दहेज का सामान खरीदने का ऑर्डर जारी हुआ था, जिसमें मोबाइल भी दहेज के रूप में नवविवाहित जोड़ों को दिया गया। इसमें कहीं पर भी नियम के विपरीत कोई काम नहीं किया गया। टेंडर देने के लिए कलेक्टर के मार्गदर्शन में टीम गठित होती है, उनके द्वारा ही टेंडर प्रकिया सम्पन्न किया जाता है। 

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