निजी चिकित्सालयों सहित प्राइवेट पैथॉलाजी लैब पर फिर उठे सवाल,इलाज में लापरवाही से हुई 10 वर्षीय बच्ची की मौत, कारण अज्ञात

 


अन्तागढ़ ,जावेद खान:स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल मे कक्षा चौथी में अध्ययनरत 7  वर्षीय फाल्गुनी धनेलिया पिता देवनाथ धनेलिया की अचानक हुई मृत्यु से सभी स्तब्ध हैं, वही स्कूल प्रशासन ने मृतक बच्ची के लिए शोक सभा का आयोजन कर बच्चों को छुट्टी दे दी।



फाल्गुनी के घर वालों से मिली जानकारी के अनुसार फाल्गुनी बिल्कुल स्वस्थ थी, किन्तु पिछले दो दिनों से कुछ अलसाई सी लग रही थी, और स्कूल जाने से भी मना कर दिया था।


दो दिनों से बुखार का एहसास होने पर परिजनों ने अन्तागढ़ के एक प्राइवेट पैथालॉजी रूखमणी पैथालॉजी लैब मे फाल्गुनी का ब्लड सैम्पल दिया, जिसकी रिपोर्ट में बच्ची को टाइफाइड होना बताया गया व जिसके उपचार के लिए परिजनों ने न्यू बसस्टैंड स्थित एक निजी चिकित्सक से फाल्गुनी के लिए दवा लिया। रात में दवा लेने के बाद फाल्गुनी सो गई किन्तु जब उसे यूरिन आई और उसके परिजन उसे यूरिन हेतु घर के बाहर ले गए तब फाल्गुनी बेहोशी की हालत में आ गई, परिजनों द्वारा फाल्गुनी को तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों की कोशिश के बाद भी फाल्गुनी को नहीं बचाया जा सका।


बता दें जिला चिकित्सा अधिकारी व कलेक्टर के निर्देश पर कई बार इन झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही की गई थी किन्तु कुकुरमुत्तों की तरह निकलने वाले ये झोला छाप डॉक्टर वापस सेटिंग कर अपनी जगह में उग जाते हैं।


आज हुई स्कूली बच्ची की असामयिक मौत से जिले की स्वास्थ्य सेवा पर अनेक प्रश्न उठ रहे हैं, जब इन पैथालॉजी लैब एवं निजी चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है तो दोबारा इनके द्वारा वही कार्य कैसे संचालित किए जाते है? क्या इन झोला छाप डॉक्टरों के पास कोई वैध दस्तावेज हैं, जो कार्यवाही के कुछ ही दिनों में ये डॉक्टर और पैथालॉजी संचालक प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं।


ब्लाॅक मेडिकल ऑफिसर भेषज रामटेके ने बताया कि बच्ची को जब स्वास्थ्य केंद्र लाया गया तब डॉक्टर गोटा ने इलाज शुरू किया, किन्तु वो बच्ची को बचाने में सफल नही हो सके, यदि प्रारम्भिक बुखार में ही बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया होता तो सम्भवतः बच्ची की जान बचाई जा सकती थी।


निजी पैथालॉजी लैब के संचालक निमेष साहू ने बताया कि बच्ची के परिजन द्वारा ही बच्ची को जांच के लिए यहां लाया गया था, जिसमें मलेरिया और टायफाइड का टेस्ट किया गया, किन्तु सिर्फ टायफाइड ही ट्रेस हो पाया। किस डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर उनके द्वारा मरीज का ब्लड सैम्पल लिया गया? इस पर लैब संचालक निमेष साहू ने बताया कि फाल्गुनी के घर वाले स्वतः ही उसे जांच के लिए लेकर आए थे व बच्ची के परिजनों के कहने पर ही मैने जांच किया ।


मृतक बच्ची फाल्गुनी को न्यू बस स्टैंड स्थित जिस निजी चिकित्सालय मे ले जाया गया, उसके संचालक राजेश कौशल ने बताया कि बच्ची के परिजन बच्ची को लेकर आये थे मेरे द्वारा टायफाइड के लिए प्राथमिक उपचार के हेतु सिट्रीजीन, ऑफलॉक्सिन 200 एम.जी. साथ ही पैरासिटामाॅल 500 एम.जी. दिन में दो बार खाने हेतु दिया था। सुबह जानकारी मिली कि बच्ची अब नही रही यह बहुत दुःखद है।

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