हाथकरघा वस्त्र बुनाई के हुनर से देवानंद को मिली प्रसिद्धि : स्वर्गीय बिसाहू दास महंत पुरस्कार से हुए सम्मानित

 


छत्तीसगढ़ हाथकरघा संघ लगातार बुनकरों के हुनर को आगे बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। हाथकरघा संघ ने बुनकरों को सतत मार्गदर्शन एवं मदद देने के साथ ही नवाचार के जरिए एक नई राह दिखाई है। इससे बुनकरों की स्थिति में तेजी से बदलाव आ रहा है। बलौदाबाजार-भाटापारा के बिलाईगढ़ के रहने वाले श्री देवानंद देवांगन को हाथकरघा संघ की ओर से मिले प्रोत्साहन और उनके वस्त्र बुनाई के हुनर ने उन्हें बिलाईगढ़ अंचल ही नहीं अपितु पूरे देश में प्रसिद्ध बुनकरों की श्रेणी में ला दिया है। श्री देवांगन की वस्त्र बुनाई के प्रति उनकी लगन और हाथकरघा वस्त्र को बढ़ावा देने और उसे लोकप्रिय बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के चलते छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उन्हें नये वस्त्र बुनाई के क्षेत्र में राज्य स्तरीय स्वर्गीय श्री बिसाहू दास महंत पुरस्कार से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जा चुका है।  

श्री देवांगन बताते हैं कि हाथकरघा वस्त्र बुनाई उनका पारंपरिक पेशा रहा है। उनके पिता मध्यप्रदेश राज्य वस्त्र निगम की जनता साड़ी, कपड़ा, धोती, गमछा, चादर और टावेल का उत्पादन बिलाईगढ़ समिति में किया करते थे। परिवार की स्थिति कमजोर होने के कारण से उन्हें आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उनके पिता के स्वर्गवास होने के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई और ऐसी ही विषम परिस्थिति में उनके लिए परिवार का पालन-पोषण की समस्या खड़ी हो गई। वस्त्र उत्पादन करने के लिए हाथकरघा औजारों में सुविधाओं की कमी के कारण रोजी-रोटी हेतु महाजनों के यहां बुनाई कार्य आरंभ किया। वहां पर उन्हें मेहनत के एवज में मिलने वाली कम मजदूरी से चिंतित थे। श्री देवांगन ने बताया कि उन्होंने स्वयं धागा क्रय कर बुनाई कार्य करना प्रारंभ किया। सबसे पहले उन्होंने धागा क्रय कर कोसा, साड़ी, कॉटन, साड़ी, सूट, सर्टिंग आदि का उत्पादन कर करना प्रारंभ कर दिया। बाजार की मांग के अनुरूप वस्त्रों का उत्पादन करते गए। उन्होंने बताया कि ग्रामोद्योग के हाथकरघा प्रभाग एवं भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में अपने उत्पादित वस्त्रों को बेचा करते हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष अन्य राज्यों में 6 से 10 प्रदर्शनियों में वस्त्र विक्रय से अतिरिक्त आमदनी होने लगी है।

उन्हें नए डिजाइन की साड़ी उत्पादन के लिए स्वर्गीय बिसाहू दास महंत पुरस्कार के रूप में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मान एवं एक लाख रूपए भी मिले हैं। राज्य में हाथकरघा वस्त्र उत्पादन एवं बुनकरों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार की सराहना की है। देवांगन वर्तमान में बिलाईगढ़ में एक अष्टभुजी कोसा शो रूम खोलकर अपने उत्पादित वस्तुओं का विक्रय करते हैं। वह वर्तमान में नवयुवक बुनकर समिति सहकारी समिति मर्यादित से जुड़कर संस्था में वस्त्र उत्पादन का कार्य कर रहे हैं। श्री देवांगन और उनका परिवार अपना परंपरागत व्यवसाय को बेहतर तरीके से अपनाकर आर्थिक स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

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