देश के पहले सीडीएस जनरल रावत की मौत से देश में शोक की लहर है जानिए बिपिन रावत की बड़ी उपलब्धियां

 


तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को वायु सेना का एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया, जिसमें देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों का निधन हो गया है. इस हादसे के वक्त Mi-17 हेलीकॉप्टर में कुल 14 लोग सवार थे, जिनमें कई बड़े अधिकारी भी मौजूद थे. हादसे में 14 में से 13 लोगों की जान चली गई है. इसकी पुष्टि निलगिरी के कलेक्टर ने की. घटना में ग्रुप कैप्टन वरुन सिंह घायल हुए हैं, उनका इलाज किया जा रहा है.





दोपहर आई हेलिकॉप्टर हादसे की इस खबर से देश सन्न रह गया और किसी को इतने बड़े हादसे पर यकीन नहीं हो सका. बाद में दुर्घटनास्थल से बचावकर्मी सीडीएस रावत समेत सभी घायलों को अस्पताल लेकर गए, लेकिन शाम होते होते सीडीएस रावत के निधन की खबर आ गई. 


देश के पहले सीडीएस हैं बिपिन रावत


जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस हैं. आर्मी चीफ के पद से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने थे. वह 31 दिसंबर 2016 को आर्मी चीफ बनाए गए थे. जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में LoC, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था. अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए आर्मी चीफ बनाया था.


जनरल रावत के नेतृत्व में हुआ था सर्जिकल स्ट्राइक


भारतीय सेना ने 29 सितंबर 2016 को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया था. बड़ी बात ये है कि जनरल बिपिन रावत के उप सेना प्रमुख बनने के एक महीने के अंदर ही सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था. हमले में कई आतंकी भी मारे गए थे. उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवानों के शहीद हो जाने के बाद सेना ने ये कार्रवाई की थी. जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश की सीमा के पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था.


म्यांमार ऑपरेशन में भी की थी अगुवाई


मणिपुर में जून 2015 में आतंकी हमले में कुल 18 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे.


जनरल रावत की बड़ी उपलब्धियां


1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन मिला.

भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर मिला,

1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख थे.

जनरल रावत ने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुआई भी की.

बिपिन रावत ने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया.

एक सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद बनाए जाने की घोषणा पीएम मोदी ने लाल किले पर दिए 15 अगस्त के भाषण से की थी. बिपिन रावत को यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम के साथ वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित किय गया है. उन्हें दो मौके पर सीओएएस कमेंडेशन और आर्मी कमेंडेशन भी दिया जा चुका है.

  

संयुक्त राष्ट्र की सेवा करते हुए बिपिन रावत को दो बार फोर्स कमांडर के कमेंडेशन से सम्मानित किया गया. उन्होंने पूर्वी सेक्टर में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ एक इन्फैन्ट्री बटालियन की कमान संभाली थी. वह एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर, कश्मीर घाटी में एक इन्फ्रैंट्री डिवीजन और उत्तर पूर्व में एक कोर का नेतृत्व कर चुके हैं.


पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा परिवार


जनरल बिपिन रावत का परिवार पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है. उनके पिता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत 1988 में उप सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.


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