मेघा तिवारी, रायपुर:क्या पत्नी को भी सेक्स के लिए नहीं कहने का अधिकार है? वैवाहिक बलात्कार को अपराधीकरण की मांग वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई।
मंगलवार को कोर्ट ने पूछा है कि कैसे एक विवाहित महिला को संभोग से इनकार करने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है। जबकि, दूसरों को सहमति के बिना संबंध होने पर बलात्कार का मामला दर्ज करने का अधिकार है।
आप को बता दे, न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति हरि शंकर याचिकाओं की पीठ आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत दिए गए अपवाद को हटाने संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
जस्टिस शकधर ने कहा कि सेक्स वर्कर्स को भी अपने ग्राहकों को ना कहने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि जब पति की बात आती है तो एक महिला को, जो एक पत्नी भी है, इस अधिकार से कैसे दूर रखा जा सकता है।
एक याचिकाकर्ता के लिए कोर्ट में पेश हुईं एड्वोकेट करुणा नंदी ने कहा कि शादी के मामले में संभोग की अपेक्षाएं होती हैं, इस तरह सेक्स वर्कर के मामले में भी हाल यही है. हालांकि, जस्टिश हरि शंकर ने कहा कि दोनों चीजों को एक समान नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा, ‘इस बात में कोई शक नहीं कि महिला ने भुगता है. लेकिन हमें उस व्यक्ति के परिणामों को ध्यान में रखना होगा, जो 10 साल की सजा के लिए उत्तरदायी है… मैं फिर दोहरा रहा हूं कि धारा 375 प्रावधान यह नहीं करता कि रेप पर सजा नहीं मिलनी चाहिए. सवाल यह है कि क्या इसे बलात्कार की तरह सजा दी जानी चाहिए.’ बेंच ने मंगलवार को कहा था कि वे इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह तक जारी रखेंगे. अगर सरकार अपवाद को खत्म करने का फैसला करती है, तो यह जज को फैसला लिखने की परेशानी से बचाएगा. बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि वह इस मामले में सकारात्मक कदम उठाने का प्रयास कर रही हैं।
0 Comments