एसडीएम को केवल सूचना देनी होगी। इसमें यह ध्यान रखा गया है कि किसानों और भू-स्वामियों को वृक्ष कटाई के लिए शासकीय कार्यालयों के चक्कर काटना नहीं पड़े इसलिए अनुमति देने के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। वृक्षों की कटाई से मिलने वाली लकड़ी की कीमत भी एक माह की अवधि में दिलाने के प्रावधान शामिल किए गए हैं।
वृक्ष प्राकृतिक रूप से उगे होने की स्थिति में वृक्षों की कटाई के लिए भू-स्वामी को एसडीएम से लिखित अनुमति प्राप्त करनी होगी। प्राकृतिक रूप से उगे वृक्ष की कटाई के लिए एसडीएम को आवेदन देने के बाद राजस्व तथा वन विभाग का अमला निरीक्षण कर 30 दिन में प्रतिवेदन देगा। एसडीएम आवेदन प्राप्ति के 45 दिन के भीतर अपनी अनुशंसा आवेदक तथा वन मंडलाधिकारी भेजेंगे, लिखित अनुशंसा नहीं मिलने पर स्मरण हेतु आवेदन दिया जाएगा, यदि अगले 30 कार्य दिवस में लिखित निर्णय प्राप्त नहीं होता है, इसे अनुशंसा मानकर आवेदक अपनी जमीन पर उपजे वृक्षों की कटाई के लिए स्वतंत्र होगा। एक कैलेण्डर वर्ष में एक खाते में प्राकृतिक रूप से उगे चार वृक्ष प्रति एकड़ के मान से अधिकतम 10 वृक्षों की कटाई के लिए एसडीएम अनुशंसा कर सकेंगे।
भू-स्वामी द्वारा अपने खाते में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों की कटाई के लिए एसडीएम एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी को कटाई से एक माह पूर्व निर्धारित प्रारूप में सूचना देना होगा। जिसका दस्तावेजी एवं भौतिक सत्यापन पटवारी एवं वनपाल के माध्यम से कराया जाएगा। भू-स्वामी द्वारा लिखित में इच्छा व्यक्त करने पर रोपित वृक्षों की कटाई वन विभाग द्वारा की जा सकेगी। वन मंडलाधिकारी द्वारा प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों के कटाई के संबंध में सक्षम अनुशंसा और भू-स्वामियों द्वारा स्वयं के खाते में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों की कटाई के लिए लिखित रूप में इच्छा व्यक्त किए जाने पर आवेदन प्राप्ति के 30 कार्य दिवस के भीतर निर्धारित दर पर लकड़ी के मूल्य की गणना कर मूल्य का 90 प्रतिशत भू-स्वामी के बैंक खाते में और 10 प्रतिशत वन विभाग के खाते में जमा करेंगे। वन विभाग में जमा की जाने वाली राशि से प्रत्येक काटे जाने वाले वृक्ष के 10 गुना संख्या में वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण एवं उनका रख-रखाव किया जाएगा।
आने वाले समय में वाणिज्यिक, औद्योगिक वृक्षारोपण को प्रोत्साहन मिलने के साथ, पर्यावरण में सुधार, जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभावों को कम करने तथा वृक्षारोपण के माध्यम से कृषकों की आय में वृद्धि करते हुये उनके आर्थिक सामाजिक स्तर में सुधार लाने में मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना मील का पत्थर साबित होगी।
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