सरकार बनाने में युवाओं की होगी निर्णायक भूमिका

 


रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2 लाख 60 हजार से अधिक यूथ वोटर्स हैं। पहली बार मतदान करने वाले ये वोटर्स किसी भी पार्टी की तकदीर संवार सकते हैं, किसी पार्टी की तकदीर बिगाड़ भी सकते हैं। छत्तीसगढ़ के फस्र्टटाइम वोटर्स सरकार की नीतियों के समर्थन में वोट करेंगे या बदलाव के लिए, ये अभी कोई नहीं जानता। हालांकि पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने वाले इन यूथ वोटर्स की अपनी अपेक्षाएं हैं, उनकी आकांक्षाएं हैं।


छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। दोनों ही पार्टियों की घोषणाओं पर नजर डाले तो बीजेपी ने प्रदेश में महिलाओं और किसानों के अलावा राज्य के युवाओं पर भी फोकस किया है। बीजेपी ने साल भर के अंदर युवाओं के लिए एक लाख नौकरियां देने का वादा किया है। इसके अलावा बीजेपी ने उद्यम की सोच रखने वाले युवाओं को नए उद्योग डालने के लिए 50 फीसदी सब्सिडी के साथ ब्याज मुक्त लोन की व्यवस्था की बात कही है।


एमएसटी के जरिए कॉलेज-विवि में सफर करने वाले युवाओं के लिए बनने वाली एमएसटी में बड़ी छूट देने की बात कही है। साथ ही नया रायपुर में एक कॉर्पोरेट कल्चर विकसित किया जाएगा। नया रायपुर में इनोवेशन हब बनाने की योजना है। यहां निजी सेक्टर में अलग-अलग तरह के नौकरियों के अवसर बनेंगे। इसके अलावा हर जिले में प्रयास कोचिंग सेंटर स्थापित प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क कोचिंग देने की बात कही है। पीएससी और व्यापमं जैसी सभी प्रमुख परीक्षाओं की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने यूपीएससी की तर्ज पर वार्षिक कैलेंडर की शुरूआत करने एवं हर ब्लॉक में कम से कम एक परीक्षा केंद्र बनाने की बात कही है।


इसके अलावा छत्तीसगढ़ युवा सूचना क्रांति योजना को पुन: लागू कर कॉलेज छात्रों को निशुल्क लैपटॉप एवं टेबलेट देने, राज्य में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना, प्रतिभा खोज कार्यक्रम शुरू कर हर साल प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की पहचान कर 75 हजार की वार्षिक छात्रवृत्ति देने, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने वाले खिलाडिय़ों को सरकारी भर्तियों में प्राथमिकता देने की बात कही है।


दुसरी तरफ कांग्रेस की घोषणा पर नजर डालें तो इसमें युवाओं के लिए एक भी योजना नहीं है। प्रदेश में सीजी पीएससी घोटाला कर छत्तीसगढ़ के योग्य उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। वहीं बीजेपी द्वारा युवाओं के लिए पूर्व में संचालित मुख्यमंत्री सुशासन फेलोशिप योजना शुरू की गई थी। उसे भी बंद कर दी गई। 2018 में बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही गई थी, चुनाव के 4 महीने पहले ही इसे लागू किया गया। इससे युवाओं में भारी आक्रोश भी पनप रहा है। ऐसे में सत्ताधारी कांग्रेस को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है।

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