'मेरी याददाश्त कमजोर तो क्या ये गिरफ्तारी की वजह होगी', कोर्ट में ED की कार्रवाई पर बोले केजरीवाल

दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले की आज बुधवार (27 मार्च) को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. ट्रायल कोर्ट की ओर से अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेजे जाने के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.

मामले पर केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखते हुए कहा, "पूरे मामले में मेरी भूमिका साफ नहीं. ईडी कहती है कि मैंने सहयोग नहीं किया. 'असहयोग' शब्द का एजेंसी लगातार दुरुपयोग करती है. किसी को अपने खिलाफ बयान देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. अगर मैं यह कहूं कि मुझे कुछ याद नहीं। मेरी यादाश्त कमज़ोर है तो क्या यह गिरफ्तारी का आधार बन जाएगा."

उन्होंने आगे कहा, "चुनाव से ठीक पहले क्या मेरी गिरफ्तारी ज़रूरी थी? मैं कहीं भागा नहीं जा रहा था. मैंने कहा कि मुझे सवाल दीजिए. वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश होने का प्रस्ताव दिया. अब गिरफ्तार कर कहते हैं कि मैं सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता था. अगर ऐसा है तो क्या मैं इससे पहले ही ऐसा नहीं कर सकता था. असल में गिरफ्तारी की ज़रूरत थी ही नहीं."

वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि यह गिरफ्तारी संविधान के खिलाफ है. यह कार्रवाई मौलिक ढांचे के विरुद्ध है. एक सीएम को चुनाव से ठीक पहले गिरफ्तार किया गया. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संविधान के मूलभूत ढांचे का हिस्सा है. आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद गिरफ्तारी हुई. प्रचार से रोक दिया गया. एक सीएम को भी गिरफ्तार किया जा सकता है लेकिन सवाल उस गिरफ्तारी के समय का है.

वहीं हाई कोर्ट के जज ने कहा, “मुझे समझना है कि दलील किस बात पर दी जा रही है. सुबह मैंने कहा था कि मुख्य मामले (गिरफ्तारी को चुनौती) पर नोटिस जारी कर विस्तार से सुनना होगा. तब कहा गया कि जो रिमांड कल खत्म हो रही है. उस मसले पर आपको जिरह करनी है.”

इस पर केजरीवाल के वकील सिंघवी ने कहा कि दोनों बातों का एक ही परिणाम होगा कि मुझे आज ही अंतरिम जमानत पर रिहा कीजिए. गिरफ्तारी और रिमांड दोनों गलत हैं. फिर जज ने कहा कि लेकिन मुझे दूसरे पक्ष को भी सुनना होगा.

कोर्ट में जिरह करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “पीएमएलए सेक्शन 50 का पालन नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट का अरनेश कुमार फैसला जांच के दौरान बिना उचित कारण गिरफ्तारी से मना करता है. मैं समझता हूं कि यह सिद्धांत एक मौजूदा सीएम के लिए 10 हजार गुना ज्यादा लागू होता है. प्रोसिड्स ऑफ क्राइम पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. बिना बयान दर्ज किए गिरफ्तारी हो गई. एक मौजूदा सीएम की गिरफ्तारी चुनाव को प्रभावित करने के लिए की गई है. इस तरह लोकतंत्र को चोट पहुंचाई जा रही है.”

उन्होंने आगे कहा, “गिरफ्तारी की शक्ति होने का मतलब गिरफ्तार कर लेना ही नहीं हो सकता. यह तभी होनी चाहिए जब इसकी वाकई जरूरत हो. क्या PMLA सेक्शन 19 (गिरफ्तारी) की ज़रूरतों का पालन हुआ या उसके बिना गिरफ्तारी की गई. मेरे खिलाफ किसी का बयान नहीं था. एक आरोपी ने ED के मुताबिक बातें कहीं, उसकी जमानत का विरोध नहीं किया गया. सिर्फ एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए ED ने मनचाहे बयान लिए.”

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