कोरबा। सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के निर्देशानुसार 12 जून 2024 को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर श्रम कल्याण केन्द्र, (जूनियर क्लब) सी.एस.ई.बी. कॉलोनी दर्री कोरबा में विधिक जागरूकता का कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा डिंपल के द्वारा बाल श्रम निषेध दिवस मनाये जाने के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुए बताया गया कि वर्ष 1973 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन अभिसमय संख्या 138 बाल मजदूरी को 15 वर्ष से कम उम्र के किसी व्यक्ति द्वारा किये गये किसी आर्थिक गतिविधियों का उल्लेख करता है। बालकों के मौलिक अधिकार के संबंध में जानकारी देते हुए कहा गया कि संविधान में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराया जाने के संबंध में प्रावधान किया गया है। निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा हेतु बच्चों का अधिकार अधिनियम 2009, 06 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 में कारखाने आदि में बच्चों को काम पर लगाये जाने का निषेध किये जाने के संबंध में बताया गया कि 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को कारखाने, खदान में अथवा अन्य जोखिम भरे रोजगार में कार्य करने हेतु नियुक्त नहीं किया जाएगा। संविधान में प्रावधानित राज्य द्वारा अपनाई जाने वाली नीति निर्देशक सिद्धांत के अंतर्गत मजदूरों, पुरुषों एवं महिलाओं तथा कम उम्र के बच्चों को स्वास्थ्य तथा शक्ति का दुरुपयोग न हो तथा आर्थिक आवश्यकताओं से मजबूर होकर नागरिक ऐसे व्यवसायों में प्रवेश करने के लिये विवश न हों। जो उनकी उम्र एवं शक्ति के अनुकूल नहीं है, तथा बच्चों को स्वस्थ तरीके से तथा स्वतंत्र परिस्थितियों में गरिमा के साथ विकास के लिये अवसर एवं सुविधाएं दी जाएं, तथा शोषण से बचपन एवं युवावस्था की रक्षा किए जाने का दायित्व राज्य को सुनिश्चित किया जाना है। जिसके संबंध में राज्य द्वारा समय-समय पर बच्चों के संबंध में कानून में संशोधन किया जाता रहा है। मौलिक दायित्व संबंधी संविधान उल्लेख करता है कि भारत के प्रत्येक नागरिक जो माता-पिता अथवा अभिभावक का दायित्व है कि वह 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को शिक्षा के लिये अवसर प्रदान करें। बाल श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन 1986 में अधिसूचित खतरनाक क्षेत्रों में नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित है। उदाहरण के लिये बीड़ी बनाना, सीमेंट कारखानों में सीमेंट बनाना, फटाखे या बारूद बनाना, एवं सिंलाई जैसे खतरनाक क्षेत्रो में बाल श्रमिक नियोजित किये जाने पर दोषी नियोजक को सजा का प्रावधान है। बच्चों का किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2002 के संक्षिप्त जानकारी दी गई।
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