रायपुर, 04 मई 2025/ भारत निर्वाचन आयोग अब एक सुव्यवस्थित, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली की शुरुआत कर रहा है, जिससे अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझानों पर समयबद्ध अद्यतन प्रदान किए जा सकें। यह नई प्रक्रिया पुराने मैनुअल रिपोर्टिंग तरीकों से जुड़ी समय की देरी को काफी हद तक कम कर देगी। यह पहल आयोग की समय पर सार्वजनिक संचार सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जिस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार कई अवसरों पर जोर दे चुके हैं।
1961 के निर्वाचन नियमों के अंतर्गत नियम 49S के तहत, पीठासीन अधिकारी (PRO) को मतदान समाप्ति के बाद मतदान केंद्र पर उपस्थित उम्मीदवारों द्वारा नामित मतदान एजेंटों को फॉर्म 17C में दर्ज मतों का विवरण देना आवश्यक होता है। यह कानूनी आवश्यकता यथावत बनी रहेगी, लेकिन VTR ऐप को अद्यतन करने की प्रक्रिया, जो अब तक एक सहायक, गैर-संवैधानिक तंत्र के रूप में विकसित हुई थी, को तेज करने के लिए सुव्यवस्थित किया जा रहा है।
इस नई पहल के तहत, प्रत्येक मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी (PRO) अब मतदान के दिन हर दो घंटे में ECINET ऐप में मतदान प्रतिशत दर्ज करेंगे ताकि मतदान रुझानों के अद्यतन करने में लगने वाले समय में कमी आएगी। यह जानकारी स्वतः निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर संकलित की जाएगी। मतदान प्रतिशत के अनुमानित रुझान पहले की तरह हर दो घंटे में प्रकाशित होते रहेंगे।
विशेष रूप से, मतदान समाप्त होने के बाद PRO अब मतदान केंद्र छोड़ने से पहले ECINET ऐप में मतदान डेटा दर्ज करेंगे, जिससे देरी में कमी आएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतदान समाप्ति के बाद निर्वाचन क्षेत्रवार अनुमानित मतदान प्रतिशत अद्यतन VTR ऐप पर नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्ध होने की स्थिति में उपलब्ध हो। जहाँ मोबाइल नेटवर्क अनुपलब्ध है, वहाँ डेटा ऑफलाइन दर्ज किया जा सकता है और कनेक्टिविटी बहाल होने पर सिंक किया जा सकता है। यह अद्यतन VTR ऐप बिहार चुनावों से पहले ECINET का एक अभिन्न अंग बन जाएगा।
पूर्व में मतदान प्रतिशत डेटा सेक्टर अधिकारियों द्वारा मैन्युअल रूप से एकत्र किया जाता था और फोन कॉल, एसएमएस या मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से रिटर्निंग अधिकारियों (ROs) को भेजा जाता था। इस जानकारी को हर दो घंटे में संकलित करके VTR ऐप पर अपलोड किया जाता था। प्रायः मतदान प्रतिशत रुझानों को देर रात या अगले दिन फिजिकल रिकॉर्ड मिलने के बाद अपडेट किया जाता था, जिससे 4–5 घंटे या उससे अधिक की देरी होती थी, जिससे कुछ लोगों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती थी।
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