रायपुर। विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को सदन में पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शेखर दत्त और सक्ति रियासत के राजा व पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सदन की कार्रवाई की शुरुआत विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने दिवंगत नेताओं के निधन की सूचना देते हुए की।
सदन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने-अपने अंदाज में दोनों दिवंगत नेताओं के व्यक्तित्व और सार्वजनिक जीवन की उपलब्धियों को याद किया।
विधायकों ने दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगतों के सम्मान में शोक व्यक्त किया। इसके बाद सदन की कार्रवाई को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।
शेखर दत्त: सेवाभाव, सादगी और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि शेखर दत्त का जीवन भारतीय प्रशासनिक सेवा में अनुकरणीय उदाहरण है। वे राष्ट्रीय सुरक्षा और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे।
संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि माओवादी उन्मूलन को लेकर उनकी चिंता और योगदान को राज्य हमेशा याद रखेगा। उन्होंने कहा कि उनका सपना था कि छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से मुक्त हो, और अब वह दिशा दिखाई देने लगी है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि शेखर दत्त भले ही ऊंचे पदों पर रहे, लेकिन उनके व्यवहार में कभी अहंकार नहीं आया। राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल सौम्य और अनुकरणीय रहा।
राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह: विनम्र जनप्रतिनिधि और सामाजिक समरसता के प्रतीक
सक्ति रियासत के राजा और पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर सिंह के प्रति भी भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने उन्हें राजनीतिक शुचिता और सामाजिक सेवा का प्रतीक बताया।
डॉ. चरणदास महंत ने उनके साथ पारिवारिक संबंधों को याद करते हुए कहा, "हमारे संबंध आत्मीय रहे। आखिरी दिनों में खटास जरूर आई, लेकिन मन में कोई वैर नहीं था।"
उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि "राजा के लिए मैं लड़की देखने नेपाल तक गया था। रानी साहिबा को लेकर आया। आज उनके निधन के बाद रानी साहिबा अकेली हैं, दुखी हैं।"
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजा सुरेंद्र बहादुर को मिलनसार और लोकप्रिय जनप्रतिनिधि बताया और कहा कि वे जनता के बीच सहज रूप से रहते थे और उनकी समस्याओं को सुलझाने में तत्पर रहते थे।
इस भावुक क्षण के बाद सदन की कार्यवाही 10 मिनट स्थगित की गई और फिर दिन का कामकाज शुरू हुआ।
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