नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत के फार्मास्यूटिकल्स निर्यात का वर्तमान मूल्य लगभग 27.8 अरब डॉलर है और यह साल के अंत तक 30 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश का घरेलू फार्मा बाजार, जो वर्तमान में 60 अरब डॉलर का है, 2030 तक 130 अरब डॉलर तक दोगुना होने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री ने भारत के मेडटेक क्षेत्र में तेजी से विस्तार पर भी प्रकाश डाला। यह क्षेत्र वर्तमान में 15-20% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है और इसमें देशभर के लगभग 800 मेडिकल डिवाइस निर्माता शामिल हैं। उन्होंने यह बातें उत्तर प्रदेश सरकार और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के बीच फार्मा, बायोटेक और मेडटेक में नवाचार और निवेश बढ़ाने के लिए हुए समझौते (MoU) के अवसर पर कही। यह सहयोग डीबीटी के बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) और उत्तर प्रदेश प्रमोट फार्मा काउंसिल (UPPPC) के माध्यम से केंद्र-राज्य साझेदारी मॉडल के तहत भारत के स्वास्थ्य और बायोटेक क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है।
इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य शोध, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना, कौशल क्षमता निर्माण और छोटे और मध्यम उद्यमों (SME और MSME) के लिए मजबूत संबंध बनाना है। अधिकारियों ने कहा कि यह सहयोग उभरती तकनीकों में निवेश को तेज करेगा और उनके व्यावसायीकरण में मदद करेगा। डॉ. सिंह ने भारत में बायोटेक स्टार्टअप्स के तेजी से बढ़ते आधार पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि 2014 में स्टार्टअप्स की संख्या केवल 50 थी, जो आज 11,000 से अधिक हो गई है। उन्होंने इस वृद्धि के लिए सरकार की नीतियों और पूरे सरकार दृष्टिकोण को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि भारत अब वैक्सीन का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बन चुका है, जहां दुनिया की 60% से अधिक वैक्सीन का निर्माण होता है और 200 से अधिक देशों को भारतीय वैक्सीन डोज भेजे जाते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि DBT-UP समझौते जैसे सहयोग विकसित भारत 2047 के विजन को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।
वहीं उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य को फार्मा, बायोटेक और मेडटेक का केंद्र बनाने की महत्वाकांक्षा पर जोर दिया। उन्होंने लखनऊ में बायोटेक पार्क, ग्रेटर नोएडा में मेडिकल डिवाइस पार्क और ललितपुर में बल्क ड्रग और फार्मा पार्क जैसी परियोजनाओं का उल्लेख किया, जिन्हें नए सहयोग के तहत और विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि DBT-BIRAC का सहयोग स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने, शोध सहयोग को मजबूत करने और किफायती स्वास्थ्य नवाचारों के लिए मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद करेगा।
भारत की बायोइकोनॉमी का मूल्य वर्तमान में लगभग 165 अरब डॉलर है। DBT के सचिव और BIRAC के अध्यक्ष डॉ. राजेश एस. गोखले ने कहा कि यह समझौता नवाचार पाइपलाइन को खोलने और किफायती तकनीकों को बढ़ाने में मदद करेगा। BIRAC के प्रबंध निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार ने कौशल विकास, इनक्यूबेशन और व्यावसायिकरण के महत्व पर जोर दिया, ताकि नवाचार तेजी से बाजार तक पहुंच सकें। MoU हस्ताक्षर समारोह में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव अमित कुमार घोष सहित DBT, BIRAC और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने निष्कर्ष में कहा कि केंद्र और राज्य के समन्वित प्रयासों से भारत किफायती और सुलभ स्वास्थ्य समाधान का वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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