भारत की कोल्ड चेन योजना से कम हुई उपज की खराबी, बढ़ी किसानों की आमदनी


नई दिल्ली। भारत ने वर्ष 2008 से अब तक इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन एंड वैल्यू एडिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम के तहत 291 एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाएँ शुरू की हैं। इनसे हर साल 25.52 लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता विकसित हुई है, यह जानकारी सरकार ने बुधवार को जानकारी दी।

इस विस्तार के साथ देश की प्रोसेसिंग क्षमता 114.66 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष हो गई है। पूरी और चालू परियोजनाओं के माध्यम से 1,74,600 रोजगार अवसर भी सृजित हुए हैं, आधिकारिक बयान में कहा गया।

जून 2025 तक इस योजना के तहत कुल 395 एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। यह योजना आमतौर पर कोल्ड चेन स्कीम के नाम से जानी जाती है।

यह कोल्ड चेन स्कीम अब प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) का हिस्सा है। इसका उद्देश्य खेत से खुदरा बाजार तक एक सुगठित कोल्ड चेन नेटवर्क तैयार करना है, ताकि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके।

कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व केवल भंडारण तक सीमित नहीं है। इसमें फार्म पर प्री-कूलिंग सुविधाएँ, आधुनिक प्रोसेसिंग सेंटर, प्रभावी वितरण केंद्र और तापमान नियंत्रित परिवहन प्रणाली शामिल हैं, जो आपस में समन्वित रूप से कार्य करती हैं।

PMKSY के तहत इस योजना को शामिल करने का उद्देश्य किसानों, प्रोसेसरों और बाजारों को जोड़ते हुए एक पूर्ण कोल्ड चेन समाधान तैयार करना था। इससे बर्बादी घटाने, रोजगार बढ़ाने और नाशवान उत्पादों के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता मजबूत करने में मदद मिली है।

जुलाई 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने PMKSY के लिए 1,920 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि को मंजूरी दी, जिससे कुल आवंटन 6,520 करोड़ रुपये (31 मार्च 2026 तक) हो गया।

इसमें 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इर्रेडिएशन यूनिट्स की स्थापना के लिए किया गया है, जो कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन इंफ्रास्ट्रक्चर घटक के अंतर्गत आएंगी।

योजना के तहत वित्तीय सहायता के रूप में सामान्य क्षेत्रों में 35 प्रतिशत तक और कठिन क्षेत्रों, अनुसूचित जाति/जनजाति समूहों, एफपीओ व एसएचजी के लिए 50 प्रतिशत तक परियोजना लागत पर सहायता दी जाती है। प्रति परियोजना अधिकतम 10 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत है।

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