प्रदूषण पर नकेल: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की त्वरित कार्ययोजना लागू

नई दिल्ली। 1 जनवरी से 9 नवंबर, 2025 के बीच दिल्ली का औसत एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 175 दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 189 रहा था। इस अवधि में पीएम 2.5 और पीएम 10 के औसत सांद्रता स्तर क्रमशः 75 माइक्रोग्राम/मी³ और 170 माइक्रोग्राम/मी³ रहे, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में ये स्तर क्रमशः 87 माइक्रोग्राम/मी³ तथा 191 माइक्रोग्राम/मी³ थे।

इस वर्ष पंजाब और हरियाणा के खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। 15 सितंबर से 9 नवंबर, 2025 के बीच पंजाब में 4,062 इस तरह की घटनाएं दर्ज हुईं, जबकि 2024 में इसी अवधि के दौरान यह संख्या 6,266 थी। यानी लगभग 35.2 प्रतिशत की गिरावट हुई। इसी तरह, हरियाणा में इस वर्ष केवल 333 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 959 घटनाएं देखी गई थीं, जो 65.3 प्रतिशत की कमी को दर्शाती हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र व इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) लगातार पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों तथा संबंधित एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जमीनी स्थिति की समीक्षा कर रहा है। इसका उद्देश्य वैधानिक निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना और पराली जलाने की समस्या को प्रभावी रूप से नियंत्रित करना है।

परंपरागत अपशिष्ट प्रसंस्करण में निरंतर प्रगति दर्ज की गई है। दिल्ली में अब तक 23 लाख टन से अधिक डंपसाइट अपशिष्ट का जैव-खनन किया जा चुका है। साथ ही, 7,000 टन प्रतिदिन (टीपीडी) की अतिरिक्त अपशिष्ट-से-ऊर्जा क्षमता और 750 टीपीडी बायो-सीएनजी/सीबीजी उत्पादन क्षमता विकसित की जा रही है। गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद में भी समानांतर प्रयास जारी हैं, जो पुराने कचरे के पूर्ण उन्मूलन की दिशा में ठोस प्रगति को रेखांकित करते हैं। बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण के साथ, सीएक्यूएम ने लैंडफिल स्थलों पर आग और उत्सर्जन को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे, मीथेन डिटेक्टर, अग्नि-शमन प्रणाली तथा श्रमिकों के लिए पीपीई उपकरण स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। जून 2025 में, आयोग ने खुले में कचरा जलाने के प्रति शून्य सहिष्णुता नीति, रात्रिकालीन निगरानी बढ़ाने तथा आरडब्ल्यूए, उद्योग संघों और स्थानीय निकायों के सहयोग से नागरिक जागरूकता अभियान तेज करने के निर्देश भी जारी किए। इन व्यापक उपायों से एनसीआर में खुले में कचरा जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है, जिससे क्षेत्र की वायु गुणवत्ता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य में सकारात्मक सुधार होगा।

एनसीआर में लागू ग्रेप चरण I और II: आईआईटीएम द्वारा तैयार किए गए गतिशील मॉडल और मौसम एवं वायु गुणवत्ता पूर्वानुमानों के आधार पर, पूरे एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के चरण-I तथा चरण-II के अंतर्गत उपाय प्रभावी रूप से लागू किए गए हैं। वायु गुणवत्ता में किसी भी और गिरावट को रोकने के लिए संबंधित एजेंसियों द्वारा सक्रिय एवं निवारक कदम निरंतर उठाए जा रहे हैं। जीआरएपी का चरण-I (एक्यूआई 201–300) 14 अक्टूबर 2025 से लागू किया गया, जबकि चरण-II (एक्यूआई 301–400) 19 अक्टूबर 2025 से पूरे एनसीआर में प्रभावी हुआ। इन चरणों के तहत यांत्रिक सड़क सफाई मशीनों (एमआरएसएम) की तैनाती, पानी के छिड़काव (स्प्रिंकलर) में वृद्धि, एंटी-स्मॉग गनों के उपयोग में तेजी और डीजी सेटों के विनियमित संचालन जैसे अनेक उपाय शामिल हैं।

स्रोत पर वाहन उत्सर्जन नियंत्रण: वाहनों से होने वाला उत्सर्जन क्षेत्र में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के स्तर में वृद्धि का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। इस चुनौती से प्रभावी रूप से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने कई लक्षित और वैधानिक निर्देश जारी किए हैं, जो इस प्रकार हैं । एनसीआर राज्यों से दिल्ली आने वाली सभी अंतर-शहर बसों को अब स्वच्छ ईंधन मोड (ईवी/सीएनजी/बीएस-VI डीजल) में परिवर्तित किया जा चुका है। इसी दिशा में, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर सहित आसपास के राज्यों से आने वाली अंतरराज्यीय बसों के लिए भी ऐसे ही निर्देश जारी किए गए हैं।

01 नवंबर, 2025 से दिल्ली में पंजीकृत वाहनों को छोड़कर बीएस-III और उससे नीचे के सभी वाणिज्यिक माल वाहन (एचजीवी, एमजीवी तथा एलजीवी) के दिल्ली में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, वाहन एग्रीगेटर्स, डिलीवरी सेवा प्रदाताओं और ई-सेवा संस्थाओं के मौजूदा बेड़ों में केवल स्वच्छ ईंधन आधारित सीएनजी तथा इलेक्ट्रिक तीन-पहिया ऑटोरिक्शा को शामिल करने की अनुमति दी गई है। 01 जनवरी 2026 से, डीजल या पेट्रोल पर चलने वाले किसी भी पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाहन को ऐसे बेड़ों में शामिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

औद्योगिक एवं निर्माण क्षेत्र अनुपालन: सीएक्यूएम ने औद्योगिक क्षेत्र में स्वच्छ ईंधन के उपयोग और कड़े उत्सर्जन मानदंडों की दिशा में लगभग पूर्ण परिवर्तन सुनिश्चित किया है। एनसीआर के 240 औद्योगिक क्षेत्रों में से 224 क्षेत्रों में अब पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है और 96% से अधिक औद्योगिक इकाइयां पहले ही स्वीकृत स्वच्छ ईंधनों पर स्थानांतरित हो चुकी हैं। औद्योगिक उत्सर्जन की निगरानी और अनुपालन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से, आयोग ने ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) सेल की स्थापना की है, जो दिल्ली-एनसीआर के उद्योगों से निकलने वाले कणीय तथा गैसीय उत्सर्जन की वास्तविक समय में निगरानी करता है। ओसीईएमएस की स्थापना एवं संचालन हेतु 3,551 औद्योगिक इकाइयों की पहचान की गई है। इसके अतिरिक्त, आयोग के उड़नदस्तों द्वारा 24,080 निरीक्षण औद्योगिक इकाइयों, निर्माण एवं विध्वंस स्थलों तथा अन्य प्रतिष्ठानों में किए गए हैं। वैधानिक निर्देशों और निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करने वाली 1,556 इकाइयों के विरुद्ध बंदी के आदेश जारी किए गए हैं।500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले सभी निर्माण स्थलों के लिए अब संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा संचालित वेब पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है।

परियोजना प्रस्तावकों को स्व-लेखा परीक्षा (सेल्फ-ऑडिट) करना तथा समय-समय पर अनुपालन रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड करना भी आवश्यक है, जिससे पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। केवल वर्ष 2025 में ही 6,000 से अधिक निर्माण स्थल एनसीआर में पंजीकृत किए गए और 30,000 से अधिक निरीक्षण किए गए। इन निरीक्षणों के परिणामस्वरूप 250 से अधिक गैर-अनुपालन स्थलों को बंद किया गया तथा जुर्माना भी लगाया गया। कार्यान्वयन एजेंसियां निर्माण गतिविधियों से उत्पन्न धूल को नियंत्रित करने के लिए निर्धारित मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित कर रही हैं, जिनमें ,धूल अवरोधक की स्थापना, निर्माण सामग्री को ढकने की व्यवस्था, नियमित जल छिड़काव, तथा निर्धारित अनुपात में एंटी-स्मॉग गनों का उपयोग शामिल है। इसके साथ ही, निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमता को दैनिक अपशिष्ट उत्पादन के अनुरूप बढ़ाने और निर्माण कार्यों में पुनर्चक्रित सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के प्रयास भी सक्रिय रूप से जारी हैं।

हरियाली और वृक्षारोपण: वित्त वर्ष 2025–26 (सितंबर तक) में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 4.37 करोड़ से अधिक पौधों का रोपण किया गया है, जो निर्धारित वार्षिक लक्ष्य से अधिक है। आयोग मियावाकी तकनीक के माध्यम से शहरी वनों के सृजन, सड़कों और औद्योगिक गलियारों के किनारे हरित बफर्स के विकास तथा सिंचाई के लिए उपचारित अपशिष्ट जल के उपयोग को प्राथमिकता दे रहा है। इसके अतिरिक्त, स्कूलों, आवासीय कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए) और सार्वजनिक संस्थानों के साथ साझेदारी के माध्यम से वृक्षारोपण अभियानों में जनभागीदारी को व्यापक रूप से प्रोत्साहित किया गया है।

गहन निगरानी: सीएक्यूएम दिल्ली-एनसीआर और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की समग्र स्थिति पर सतत निगरानी रख रहा है। आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए एनसीआर राज्य सरकारों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों/समितियों और शहरी स्थानीय निकायों की संबंधित एजेंसियों के साथ निरंतर समन्वय बनाए हुए हैं कि सभी वैधानिक निर्देशों का प्रभावी एवं समयबद्ध कार्यान्वयन हो। आयोग सुधार की प्रवृत्ति को बनाए रखने तथा उसे और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से क्षेत्र-विशिष्ट कार्रवाइयों, अनुपालन स्थिति एवं प्रभावी परिणामों की नियमित समीक्षा कर रहा है। 


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