12 साल से फाइलों में कैद बीजापुर बायपास, बढ़ते ट्रैफिक और हादसों से शहर बेहाल

 


बीजापुर । बीजापुर नगर की सबसे बड़ी और बहुप्रतीक्षित जरूरत बन चुकी बायपास सड़क आज भी कागज़ों और फाइलों में ही सिमटी हुई है। पिछले 12 वर्षों से बीजापुर बायपास सड़क का प्रस्ताव सरकारी दफ्तरों में लंबित पड़ा है, जबकि शहर में लगातार बढ़ता ट्रैफिक, भारी वाहनों का दबाव और सड़क दुर्घटनाओं का खतरा आम लोगों की परेशानी बढ़ाता जा रहा है।

वर्ष 2012–13 के अनुपूरक बजट में इस बायपास परियोजना को शामिल किया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने इसका शिलान्यास भी किया था, जिससे लोगों में जल्द निर्माण की उम्मीद जगी थी। इसके बाद कांग्रेस सरकार के पाँच वर्ष और मौजूदा भाजपा सरकार के दो वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक बायपास का निर्माण शुरू नहीं हो सका है।

बायपास न होने के कारण भारी मालवाहक ट्रक और बड़े वाहन शहर के मुख्य बाजार और रिहायशी इलाकों से होकर गुजरने को मजबूर हैं। इससे रोजाना जाम की स्थिति बनती है, व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। खासतौर पर स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह स्थिति लगातार खतरनाक होती जा रही है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बायपास का निर्माण न सिर्फ ट्रैफिक दबाव कम करेगा, बल्कि शहर को दुर्घटनाओं से भी राहत दिलाएगा। इसके बावजूद वर्षों से शासन-प्रशासन की चुप्पी और सुस्त रवैये के चलते यह महत्वपूर्ण परियोजना आगे नहीं बढ़ पा रही है, जिससे बीजापुर शहर की यातायात व्यवस्था दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।


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