माघी पुन्नी मेला: लक्ष्मण झूला में लेजर शो और आकर्षक लाईटिंग,लोक कलाकारों द्वारा होगी सांस्कृतिक प्रस्तुति

 


 छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहलाने वाला राजिम माघी पुन्नी मेला शुरू हो गया है। एक पखवाड़े तक चलने वाली इस मेले के भव्य आयोजन के लिए राज्य सरकार द्वारा आयोजन संबंधी विशेष तैयारियां की गई हैं। लक्ष्मण झूला में लेजर शो और आकर्षक लाइटिंग इस मेले का खास आकर्षण होगा। माघी पुन्नी मेले के दौरान मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत 100 जोड़ों की शादियां होंगी। 

माघी पुन्नी मेले में छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति के प्रोत्साहन में स्थानीय एवं राज्य के लोक कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुतियां होंगी। आगंतुकों को छत्तीसगढ़ के व्यंजनों का स्वाद मिलेगा, जिसके लिए यहां पर फूड जोन में स्टॉल की व्यवस्था की गई है। बिहान महिला समूह की महिलाएं समूह के विभिन्न प्रकार के उत्पादों का विक्रय करेंगी, जिसे सरस मेला नाम दिया गया है। माघी मेले के सुव्यवस्थित संचालन के लिए पार्किंग व्यवस्था, कंट्रोल रूम सहित मीडिया सेंटर की भी व्यवस्था की गई है। आगंतुकों की सुरक्षा के मद्देनजर मेला परिसर की 120 सीसीटीवी से निगरानी की व्यवस्था की गई है। 

माघी पुन्नी मेले में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से संबंधित प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसका लाभ ग्रामीणों और श्रद्धालुओं को मिल रहा है। मेले में महिला बाल विकास विभाग, आदिवासी विकास सहित विभिन्न विभागों द्वारा अलग कार्यक्रम के आयोजन होंगे। मेले परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री की घोषणा अनुरूप 54 एकड़ के नवीन मेला प्रांगण में जमीन समतलीकरण, नदी के किनारे फोरलेन सड़क और नदी के दोनों किनारे पाथ-वे निर्माण किया जा रहा है।

विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी राजिम माघी पुन्नी मेला में स्थानीय एवं प्रदेश के लोककलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी। पहले दिन शाम 6 से रात 7.30 बजे तक पंडवानी गायिका उषा बारले और रात 8 से 10 बजे तक गायक दिलीप षडंगी की प्रस्तुति से मेले के रंगारंग कार्यक्रम की शुरुआत होगी। इस तरह एक मार्च महाशिवरात्रि तक प्रत्येक दिन अलग-अलग लोक कलाकारों के द्वारा कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां होंगी। 

पैरी, सोंढूर और महानदी के त्रिवेणी संगम राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। राजिम में राजीवलोचन और कुलेश्वरनाथ का मंदिर है, जिनके दर्शन को लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। राजीवलोचन मंदिर राजिम के सभी मंदिरों में सबसे पुरातन है। राजिम को शिव और वैष्णव धर्म का संगम तीर्थ भी कहा जाता है। राजिम माघी पुन्नी मेले में शामिल होने आगंतुकों एवं अनेकों साधु-संत यहां आते हैं।

Post a Comment

0 Comments