छत्तीसगढ़ में हो रहे कार्यों को नीति आयोग की टीम ने की तारीफ,गोधन न्याय योजना के लिए दी बधाई जानिए क्या कहा

 


नीति आयोग की टीम ने छत्तीसगढ़ में हो रहे अभिनव कार्यों की सराहना की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्य योजना आयोग, मुख्य सचिव और राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से प्रदेश से जुड़े विषयों पर चर्चा के लिए रायपुर पहुंची नीति आयोग की टीम ने मुख्यमंत्री के निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में छत्तीसगढ़ सरकार की विभिन्न योजनाओं की तारीफ की। इस बैठक में नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े भारत सरकार के दस मंत्रालयों के सचिव भी शामिल हुए।



छत्तीसगढ़ आए नीति आयोग की टीम में आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, आयोग के वरिष्ठ सलाहकार, विषय विशेषज्ञ एवं अधिकारी शामिल हैं। योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री  अमरजीत भगत, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष  अजय सिंह और मुख्य सचिव  अमिताभ जैन भी बैठक में शामिल हुए। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने बैठक में राज्य शासन द्वारा उठाए गए मुद्दों को भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों के साथ चर्चा कर आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया।  


सीएम भूपेश बघेल के साथ बैठक में नीति आयोग की टीम ने गोधन न्याय योजना के लिए राज्य सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ इस तरह की योजना शुरू करने वाला देश का पहला राज्य है। किसानों, पशुपालकों और ग्रामीणों के साथ ही यह स्वसहायता समूहों को भी सशक्त कर रहा है। नीति आयोग की वरिष्ठ कृषि सलाहकार डॉ. नीलम पटेल ने कहा कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में राज्य में कई अनुकरणीय काम हो रहे हैं। इस मामले में यहां से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2018-19 की तुलना में 2019-20 में सरसो के उत्पादन में 22 प्रतिशत और सोयाबीन के उत्पादन में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कृषि के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अच्छी तरक्की कर रहा है। डॉ. पटेल ने कहा कि मछलीपालन में भी यहां उल्लेखनीय काम हो रहा है। प्रदेश में मछली बीज की आपूर्ति के साथ ही देश के पांच अन्य राज्यों में भी इसे भेजा जा रहा है। मछली बीज उत्पादन में छत्तीसगढ़ दूसरे राज्यों की भी मदद और मार्गदर्शन कर सकता है।


नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार नीरज सिन्हा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खनिज उत्खनन में भी अच्छा काम हो रहा है। यहां के स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात देश के सबसे बेहतर राज्यों में से है। उन्होंने बताया कि ‘इज ऑफ डुइंग बिजनेस (Ease of Doing Business)’ के मामले में छत्तीसगढ़ देश में छटवें और एक्पोर्ट प्रिपेयर्डनेस इंडेक्स (Export Preparedness Index) में चौथे स्थान पर है। नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों में शामिल यहां के दस जिले विकास योजनाओं और जन कल्याणकारी कार्यक्रमों के क्रियान्यवन में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।


सीएम बघेल ने नीति आयोग की टीम और भारत सरकार के सचिवों के साथ बैठक में राज्य को धान से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति दिलाने में मदद करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि चावल की तुलना में धान से एथेनॉल का उत्पादन सस्ता है। इसमें परिवहन और मिलिंग की समस्या नहीं आएगी। एथेनॉल उत्पादन के लिए राज्य में 27 एमओयू किए जा चुके हैं। हमें केवल भारत सरकार से अनुमति की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने भारत सरकार द्वारा राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि अगले 10 वर्षों तक जारी रखने कहा। जीएसटी लागू होने के बाद उत्पादक राज्य होने के कारण छत्तीसगढ़ को राजस्व की काफी हानि हो रही है। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद किए जाने से राज्य को सालाना पांच हजार करोड़ रूपए राजस्व की हानि होगी।  


सीएम बघेल ने बैठक में रायपुर के स्वामी विवेकानंद विमानतल पर अंतर्राष्ट्रीय कार्गो सेवा शुरू करने के लिए जरूरी पहल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के उत्पादों के विदेशों में निर्यात की बड़ी संभावना है। लेकिन कार्गो सेवा नहीं होने के कारण इसमें बाधा आ रही है। उन्होंने बताया कि पूरे देश के वनोपज का 75 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ खरीद रहा है। मुख्यमंत्री ने रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन की तरह वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन पर भी केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने का आग्रह किया। प्रदेश में बड़ी मात्रा में वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन और उपयोग हो रहा है। रासायनिक खाद के विकल्प के रूप में प्रदेश में इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है। वर्मी कंपोस्ट पर पोषक तत्व आधारित (Nutrient Based Subsidy) और बाजार विकास सहायता (Market Development Assistance) के लिए सब्सिडी दिया जाना चाहिए। जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देने इसके लिए छत्तीसगढ़ को पायलट राज्य के रूप में लिया जा सकता है। उन्होंने आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिंग में वहां की संस्कृति, परंपरा और बोलियों के संरक्षण व विकास के लिए किए जा रहे कार्यों को भी शामिल करने का अनुरोध किया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के हिस्से की कोयला की रायल्टी और पेनाल्टी का 4140 करोड़ रूपए केन्द्रीय पूल में जमा है। भारत सरकार द्वारा इसकी प्रतिपूर्ति की जानी चाहिए। उन्होंने कोयला की रायल्टी बढ़ाने की मांग की। वर्ष 2014 से कोयला की रायल्टी नहीं बढ़ी है, जबकि हर तीन वर्ष में इसके पुनरीक्षण का प्रावधान है। उन्होंने प्रदेश के लिए नए कोल ब्लॉक के आबंटन का भी आग्रह किया। श्री बघेल ने बैठक में नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के अलग-अलग घटकों और इनके संरक्षण व संवर्धन से हो रहे लाभों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण और शिक्षा व्यवस्था की मजबूती के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में भी बताया।



नीति आयोग की टीम और भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों के साथ बैठक में राज्य शासन के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय शुक्ला, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ, कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, लोक निर्माण विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, जल संसाधन विभाग के सचिव पी. अंबलगन, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव श्री टोपेश्वर वर्मा, राज्य योजना आयोग के सदस्य सचिव श्री अनूप श्रीवास्तव, नीति आयोग की उर्वशी प्रसाद, डॉ. त्यागराजु बी.एम., डॉ. के. मदनगोपाल, अजीत पाल, अंकन डे, नमन अग्रवाल, सिद्धेय शिंदे और पीयूष प्रकाश मौजूद थे। 

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