ज्ञानवापी केस: ‘शिवलिंग’ की पूजा होगी या नहीं? वाराणसी कोर्ट आज सुनाएगी फैसला

 


वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग की पूजा को लेकर याचिका पर कोर्ट बड़ा अहम फैसला सुनाएगी। इस याचिका में तीन प्रमुख मांग रखी गई हैं, जिसमें पहला स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की पूजा शुरू करने की अनुमति, दूसरा, पूरे ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपना और तीसरी मांग ज्ञानवापी परिसर के अंदर मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना है. याचिका पर वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट फैसला सुनाएगी।


बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं. हालांकि इस मामले में तत्कालीन सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने सर्वे का आदेश जारी किया था. इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का सर्वे किया गया था. इसी सर्वे की के बाद मस्जिद के बजूखाने में शिवलिंग के होने का दावा किया गया. वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया. इस मामले में विवाद इतना बढ़ गया कि सर्वे के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई।


कार्बन डेटिंग की याचिका खारिज

हालांकि वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मुस्लिम पक्ष को नमाज अदा करने की अनुमति है. वहीं हिंदू पक्ष ने 29 सितंबर की सुनवाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच और उसके आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग की मांग की थी. अक्टूबर में सुनवाई के दौरान अदालत ने कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। वहीं हिंदू पक्ष ने कथित ‘शिवलिंग’ की ‘वैज्ञानिक जांच’ की अनुमति देने से इनकार करने वाले वाराणसी अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही थी।


मुस्लिम पक्ष का दावा- मस्जिद वक्फ की प्रॉपर्टी

हिन्दू पक्ष का कहना है कि यह मामला सुनने योग्य है, क्योंकि यह तय करने का अधिकार सिविल कोर्ट का है कि मस्जिद वक्फ की प्रॉपर्टी है भी या नहीं. वहीं, मुस्लिम पक्ष कहता है कि केस सुनने योग्य नहीं है क्योंकि ज्ञानवापी वक्फ की संपत्ति है और यां ‘दि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991’ लागू होता है. ऐसे में सिविल कोर्ट को इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं होना चाहिए।


वजूखाने से मिली शिवलिंग रूप की आकृति

बता दें कि मई 2022 में कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने से शिवलिंग रूप की आकृति मिली थी. इसके बाद हिन्दू पक्ष ने कथित शिवलिंग पर पूजा का अधिकार और गैर-हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित करने की मांग की. इसके अलावा, परिसर का पूरा अधिकार हिन्दुओं को सौंपने की मांग भी की है।


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