सारंगढ़ बिलाईगढ़ : आरबीसी 6-4 में किसानों, पशुपालकों, कारीगरों और मछुआरों को मिलेगा आर्थिक सहायता

 

सारंगढ़ बिलाईगढ़ 10 जुलाई 2023

बरसात के मौसम में प्राकृतिक विपदा ज्यादा आती है। इस आपदा से प्रभावित व्यक्तियों पशु फसल आदि के लिए राज्य सरकार को ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत फसल क्षति का क्लेम दिया जाता है।

लघु एवं सीमांत किसान जिसके पास 2 हेक्टेयर की भूमि हो, को सहायता :
कृषि भूमि से गाद निकालना जहां पर रेत या गाद निक्षेप की मोटाई 3 सेंटीमीटर से अधिक है, पर्वतीय क्षेत्र में कृषि भूमि से मलबा हटाना, गाद निकालना या पुनरुद्धार, मछली फार्मो की मरम्मत आदि आदि के लिए लाभार्थी द्वारा अन्य किसी सरकारी योजना के तहत कोई अन्य सहायता या सब्सिडी प्राप्त नहीं की गई है तथा वह उसको प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं है इस शर्त के अधीन होगा। उपरोक्त प्रत्येक मद के लिए 18 हजार प्रति हेक्टेयर दी जाएगी। इस राशि में से प्रति किसान न्यूनतम 22 सौ रुपए की सहायता के अधीन है।
भूस्खलन हिमस्खलन नदियों के मार्ग बदलने के कारण हुई पर्याप्त भूभाग की हानि के लिए केवल उन छोटे और सीमांत किसानों को 47 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर दी जाएगी, जिनकी भूमि का स्वामित्व राजस्व अभिलेखों के अनुसार वैध है। उपरोक्त राशि प्रत्येक किसान को न्यूनतम पांच हजार रुपए की सहायता के अधीन है।

कृषि बागवानी फसलों, रेशम कीट पालन में सहायता
 (इनपुट सब्सिडी जहां पर फसलों का नुकसान 33 प्रतिशत और उससे अधिक पर) : कृषि फसलों , बागवानी फसलों और वार्षिक बागान फसलों के लिए प्रति हेक्टेयर 8 हजार 500 रुपए वर्षा सिंचित क्षेत्र में दी जाएगी। उपरोक्त सहायता प्रति किसान न्यूनतम एक हजार रूपये के अधीन है और वह क्षेत्रों तक सीमित है। 17 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर सुनिश्चित सिंचित क्षेत्र में सहायता दी जाएगी। उपरोक्त सहायता प्रति किसान न्यूनतम दो हजार रूपए के अधीन है। बारहमासी फसलें, एग्रो फोरेस्ट्री (अपने खेतों में वृक्षारोपण) के लिए प्रति हेक्टेयर 22 हजार 500 रुपए सभी प्रकार की बारहमासी फसलों, कृषि वानिकी (स्वयं के खेत में वृक्षारोपण) के लिए और यह सहायता प्रति किसान न्यूनतम दो हजार 500 रुपए की सहायता के अधीन तथा बोए गए क्षेत्र तक सीमित है। 
रेशम कीट पालन और उत्पादन में ऐरी, मलबरी, टसर के लिए प्रति हेक्टेयर 6 हजार रूपए, मूंगा के लिए प्रति हेक्टेयर 7 हजार 500 रूपए है। उपरोक्त सहायता प्रति किसान न्यूनतम एक हजार की राशि के अधीन है और बोए गए क्षेत्र तक सीमित है।

टिड्डी नियंत्रण के लिए पौध संरक्षण रसायनो खरीदी व छिड़काव के लिए स्प्रे उपकरणों के साथ वाहनों ट्रैक्टरों को पानी के टैंकरों को किराए पर लेना और टिड्डी नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार द्वारा आबंटन के हिसाब से दी जाएगी।

सेवाभूमि या देव स्थानी भूमि : 
सेवा भूमि या देवस्थानी भूमि का यदि किसी व्यक्ति या पुजारी को वैधानिक पट्टा दिया गया है तो पट्टेदार को आर्थिक सहायता की पात्रता होगी।

खलिहान में रखी या खेत में पड़ी हुई फसल किसी फसलों के प्राकृतिक प्रकोपों से या आग लगने से नष्ट हो जाती है तो आर्थिक सहायता दी जाती है और उन रकबा क्षेत्रों के फसल के विक्रय की अनुमति नहीं होगी। 

पशुपालन : लघु और सीमांत किसानों तथा भूमिहीन पशु मालिकों को सहायता : क्षति के लिए पीड़ित को आर्थिक सहायता देय होगा चाहे यह खातेदार हो या भूमिहीन।  
दुधारू पशु भैंस, गाय, उंटनी, याक, मिथुन के लिए 37 हजार 500 रूपए, भेड़, बकरी और सुअर के लिए 4 हजार रूपए। ऊंट, घोड़ा, बैल, भैंसा के लिए 32 हजार रूपए, बछड़ा, गधा, खच्चर/ टट्टू, हेफर के लिए 20 हजार रूपए, मुर्गी के लिए प्रति मुर्गी 100 रूपए देने का प्रावधान है। उपरोक्त पशु-पक्षियों के लिए सहायता आर्थिक रूप से उत्पादक पशुओं के वास्तविक नुकसान तक हो सकती है और यह 3 बड़े दुधारू पशुओं या 30 छोटे दुधारू पशुओं या 3 बड़े गैर-दुधारू पशुओं या 6 छोटे गैर-दुधारू पशुओं की अधिकतम सीमा के अधीन होगी तथा इस बात पर ध्यान दिए बिना प्रदान की जाएगी कि किसी परिवार की भारी मात्रा में पशुओं की क्षति हुई है अथवा नहीं। जानवरों के नुकसान के दावे पर भी तभी विचार किया जाएगा जब छोटे और सीमांत किसानों / भूमिहीन पशुधन मालिकों के स्वामित्व वाले जानवरों की संख्या और प्रकार राजस्व विभाग या पशुपालन विभाग में पंजीकृत हो। पशुओं के बीमा होने की स्थिति में आर्थिक सहायता की राशि प्राप्त बीमा दावे की सीमा तक समायोजित की जाएगी। यदि एवियन इन्फ्लुएंजा अथवा किसी अन्य ऐसी बीमारी जिसके लिए पशुपालन विभाग के पास पोल्ट्री मालिकों की क्षतिपूर्ति हेतु कोई अलग स्कीम है, के कारण पक्षियों (मुर्गियों) का नुकसान हुआ है तो इन मानदण्डों के अंतर्गत राहत की पात्रता नहीं होगी। घर से जुड़ा पशुओं का बाड़ा की क्षति के लिए प्रति शेड 3 हजार रूपए दी जाएगी।

मछली पालन : चारा, नाव तथा जाल हानि के लिए सहायता

 बाढ़ व तूफान से प्रभावित मछली पकड़ने वालों की नावों (जो मशीन से संचालित न हो एवं जिनका बीमा न कराया गया हो) डोंगियों, मछली पकड़ने तथा अन्य उपकरणों को हुई हानि के लिए नाव पूर्ण नष्ट होने पर 15 हजार रू., नाव आशिक क्षतिग्रस्त होने पर 6 हजार रू., जाल पूर्ण नष्ट होने पर 4 हजार रू., जाल आंशिक क्षति होने पर 3 हजार रूपए देने का प्रावधान है। छोटे एवं सीमांत किसानों को मछली के चारे हेतु इनपुट सब्सिडी 10 हजार रूपए प्रति हैक्टेयर दी जाएगी। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की योजना के तहत प्रदान की जा वाली एकबारगी सब्सिडी को छोड़कर, यदि लाभार्थी किसी अन्य सरकारी योजना के तहत मौजूदा आपदा के लिए पात्र है या कोई सब्सिडी / सहायता प्राप्त की तो उसे यह सहायता प्रदान नहीं की जाएगी।

*हस्तशिल्प, हथकरघा कारीगरों को सहायता* : हथकरघा बुनकरों के औजार एवं उपकरण पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो जाने पर पांच हजार रुपए प्रति कारीगर अनुदान सहायता देय होगी। हथकरघा में उपयोग होने वाला कच्चा माल या निर्माणाधीन माल एवं निर्मित माल नष्ट होने पर पांच हजार रूपए प्रति कारीगर अनुदान सहायता देय होगी । उक्त सहायता खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा प्रमाणित किये जाने पर मान्य होगी ।


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