जशपुरनगर में गेंहू, धान, आलू, प्याज , भिंडी, बरबट्टी, भाजी आदि की खेती कर लाभ अर्जित कर रहे किसान

 

जशपुरनगर 10 जुलाई 2023

नरवा विकास योजना छत्तीसगढ़ शासन की एक महत्वाकांक्षी योजना है।  जिसका मूल उद्देश्य नदी-नालों एवं जल स्रोतों को पुनर्जीवन प्रदान करना है। आज नरवा विकास योजना ने राज्य के नरवा एवं जल स्रोतों के उपचारित करने, भूमिगत जल स्तर सुधार एवं मृदा क्षरण रोकने में महती भूमिका निभा रही है। योजना से सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि होने से अब किसान भी रबी फसल लेने के लिए प्रोत्साहित हो रहे है।
    नरवा कार्यक्रम के तहत् सिहारजोरी नाला गहरीकरण करने के पश्चात् साथ ही नाला का साफाई सह बेड सुधार करने से पूरे वर्ष भर पानी की उपलब्धता होने से कृषकों में खरीफ एवं रवी दोनो फसल लेने में रूचि लिया गया । वे खेतों, बगानों में सब्जी-भाजी का अधिक मात्रा में उत्पादन किया जा रहा है। नाला के साफ सफाई एवं पचरी निर्माण होने से नाला के समीप स्थित भूमि के कृषकों का कृषि के प्रति रूझान बढ़ा है।  ग्राम के  नाला के लाभार्थी  कृषकों में मुख्य रूप से बिरसीयुस तिर्की, रेजीनाल्ट तिर्की, अनिल तिर्की, अबनेर लकड़ा आदि हैं। लाभार्थी कृषक राजेश कुमार ने बताया की  वे अपने खेतों व बगानों में गेंहू, धान, व सब्जी जैसे आलू, प्याज , भिंडी, बरबट्टी, भाजी आदि की खेती कर सालाना 20 से 30 हजार रूपये का मुनाफा ले रहे है। जिससे सभी कृषक अपने जीवन स्तर में वृद्धि कर रहें है। नरवा कार्यक्रम अन्तर्गत नाला का उपचार होने गांव के कृषकों के लिये वरदान साबित हो रहे हैं। आय के अतिरिक्त स्रोत प्राप्त हुआ है साथ ही पशुओं के लिये चारा पानी हेतु पानी गर्मी दिनों मे भी आसानी से उपलब्ध हो रहा है। साथ ही पचरी का निर्माण होने से ग्रामीणों के निस्तारीकरण में भी सुलभ हो रही है। यह ग्राम पंचायत केरसई  जनपद पंचायत फरसाबहार के नरवा कार्यक्रम अन्तर्गत नाला गहरीकरण कार्य सिहारजोरी नाला में अबनेर घर के पास का है। जिसे 6.45 लाख रुपए में बनाया गया है ।
    उल्लेखनीय है कि कार्य निर्माण के पूर्व में ग्राम पंचायत केरसई के सिहारजोरी नाला के कृशकों को सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता नही होने के कारण एवं नाला के पानी बह जाने के कारण रबी फसल करने में जल की आपूर्ती कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। जल आपूर्ति नही होने से कृषकों द्वारा खेती करने में रूचि नही लिया जा रहा था। साथ  ही गांव के आम जनता को निस्तारीकरण हेतु विभिन्न प्रकार के कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था तथा पशुओं हेतु पीने एवं नहाने हेतु पानी उलब्ध नही हो पाती थी।

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