रायपुर, 31 जुलाई 2023
स्व-सहायता समूह की महिलाएं अब कोसा से धागा निकालने की कला सीखकर अपने जीवन के ताने-बाने बुन रही हैं। इसी कड़ी में जशपुर जिले के कुनकुरी, फरसाबहार, पत्थलगांव और कांसाबेल विकासखण्ड में 07 महिला स्व-सहायता समूह गठन किया गया। महिला समूह के द्वारा टसर धागाकरण कार्य कर धागा उत्पादन किया जा रहा हैं। उत्पादित धागे का समूह के द्वारा बेचकर 1 करोड़ 95 लाख 40 हजार 383 रूपए का लाभ अर्जित किया गया। स्व-सहायता समूह की महिलाएं अपनी आमदनी को बढ़ाते हुए जीवन स्तर को बेहतर बना रही हैं। पूर्व में आय के स्रोत के रूप में सिर्फ खेती, घर के बाड़ी व वन उत्पादों से जीविकोपार्जन कर रही थीं।
छत्तीसगढ़ में कोसा से धागा निकालने का कार्य कुछ चुनिंदा जगहों पर ही किया जाता है। एक बार धागा निकालने की कला सीखने के बाद कमाई का जरिया पारंपरिक रूप से यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती जाती है। स्व-सहायता समूह की महिलाएं कोसा खरीदी से लेकर धागा बनाने और बेचने तक का काम सीख चुकी हैं। कोसा से धागा निकालने की प्रक्रिया में सबसे पहले महिलाएं कोसे की ग्रेडिंग करती हैं। ग्रेडिंग के उपरांत प्रतिदिन के हिसाब से कोसा उबाला जाता है और उबले हुए कोसे से धागा बनाया जाता है। धागा पैकिंग कर व्यापारियों को बेच दिया जाता है। प्राप्त पैसे से कोसे फल का पैसा रेशम विभाग को दिया जाता है और बचे हुए पैसे से महिलाएं अपना घरेलू व्यवसाय को आगे बढ़ा रही हैं और स्वावलंबन की राह में आगे बढ़ते हुए महिलाओं की किस्मत भी कोसे की तरह चमकने लगी है।
0 Comments